Tuesday, June 19, 2018

लघुकथा चौपाल-6 (भाग-दो)

यह छठवीं लघुकथा Meena Pandey की है।
लघुकथा पर आई प्रतिक्रियाओं को ध्‍यान में रखते हुए, उन्‍होंने लघुकथा के दो प्रारूप बनाए थे। एक प्रारूप में बेबो द्वारा रखी गई अवधारणा के जवाब में दादी द्वारा दिया जाने वाला उत्‍तर शामिल किया गया था। लेकिन ऐसा करने से न केवल रचना एक फार्मूले के तहत लिखी प्रतीत होने लगती है, बल्कि वह अप्रभावी भी हो जाती है। इसलिए उस पर मीना जी और मेरे बीच एक राय नहीं बनी।
उन्‍होंने अपने कथ्‍य पर नए सिरे से विचारकर जो प्रारूप बनाया, वह कहीं ज्‍यादा रचनात्‍मकता लिए है। निश्चित ही इसमें वह शाशवत सवाल प्रत्‍यक्ष रूप से नहीं है, जो मूल रचना में था। लेकिन जैसा कि मैं मानता हूँ कि कुछ बातें रचना में इस तरह आती हैं, या आनी चाहिए, जो अप्रत्‍यक्ष हों। उनके मूल तक पहुँचना पाठक का भी काम है।
बहरहाल अब यह पाठकों की चौपाल में प्रस्‍तुत है। आप अपनी राय रखने के लिए आमंत्रित हैं। और स्‍वतंत्र हैं।
सुंदर : मीना पाण्‍डेय
**********************
नन्‍हीं बेबो कुछ देर उसे गौर से निहारती रही। फिर अनोखे अंदाज में अपने घुटनों पर बैठकर बोली, " दादी, आप बीमार हो ? "
" नहीं तो ! "
" तो आप ऐसे क्यों रह रही हो ? "
वह चौंक गयी, ‘‘कैसी रह रही हूँ ? ’’
‘‘बताओ, आपकी बिंदी कहाँ है? चोटी भी नहीं बनातीं। अच्छे कपड़े भी नहीं पहनतीं। ’’ बेबो अपनी बाँहें उसके गले में डालते हुए शिकायती स्‍वर में बोली।
‘‘बस अब मन नहीं करता। ’’ उसने टालने के लिए कहा।
‘‘नहीं दादी, आप ऐसे अच्छी नहीं लगती हो।’’ बेबो मचलते हुए बोली।
‘‘अब बूढ़ी भी हो रही हूँ न।’’ अपने घुटनों पर हाथ रखकर उठने की कोशिश करते हुए उसने कहा।
‘‘नहीं, आप बूढ़ी नहीं हो सकतीं।’’ बेबो लगभग चीख पड़ी।
‘‘अरे का हुआ ?’’ उसे आश्चर्य हुआ।
‘‘नहीं, मैं आपको बूढ़ी नहीं होने दूँगी।’’ बेबो उससे लिपट गई।
‘‘अच्छा !! ये बता क्‍या करेगी ?’’ उसने हँसते हुए उसका सिर सहलाया।
‘‘बस आप उठो ! सुंदर बनो मेरी तरह !!" और बेबो अपनी फ्राक के दोनों किनारों को फैलाकर मुस्कुराते हुए अपने आपको दाएँ-बाएँ घुमाने लगी। उसे ऐसा करता देख वह फिर हँस पड़ी।
उसने हार मानने वाले अंदाज में कहा, ‘‘अच्छा,जो हुकुम राजकुमारी जी! ’’ उसने उठ कर बाल संवारे, बिंदी लगायी, धुले हुए कपड़े बदले। बेबो बैठी उसे देखती रही।
उसके तैयार होते ही बेबो चहक उठी, ‘‘येयेये... दादी सुंदर हो गयी ... दादी नयी हो गयी...।’’

No comments:

Post a Comment

लघुकथा चौपाल -26 (भाग-एक)

लघुकथाचौपाल चैलेंज के जवाब में कई रचनाएँ आई हैं। यह उनमें से एक है। यह कथ्‍य और उसके निर्वाह के नजरिए से चौपाल के लिए बिलकुल ‘फिट’ है, स...