अपील का असर हुआ। और कई नए साथियों ने अपनी रचनाएँ चौपाल के लिए भेजी हैं। इस रचना के रचनाकार ने अपनी तीन रचनाएँ भेजीं। उनमें से एक का परिमार्जित और सम्पादित रूप रचनाकार की सहमति से यहाँ प्रस्तुत है। इसमें एक अछूते विषय को पकड़ने की कोशिश की गई है।
बाकी बातें आप सब बताएँगे ही।
इलाज : लेखक का नाम बाद में
*********************************
*********************************
शीनू अब कुछ ज्यादा ही शांत होता जा रहा था। मन बहलाने के लिए डांस क्लास, स्विमिंग क्लास, स्टेडियम आदि ज्वॉइन भी करवाये। पर उसकी मानसिक स्थिति और ज्यादा अस्थिर हो जाने के कारण सब छुड़ाना पड़ा। वह अक्सर कमरे में अकेला रहता। जो भी खाने को दो चुपचाप खा लेता। माँ जितने सवाल करती, स्थिति उतनी ही उलझ जाती। उसने कई बार शीनू को अकेले रोते हुए पाया। पिता का ध्यान सभी गतिविधियों पर था। माँ के कहने पर पिता शीनू के कमरे में गया।
पिता को आया देख, शीनू ने पूछा, “क्या हुआ पापा कुछ काम था ?”
“नहीं बेटा।”
“तो ममा ने फिर कोई शिकायत की आपसे ?”
“नहीं, वो सो गयीं, मुझे नींद नहीं आ रही थी। अगर तुम्हें नींद आ रही है तो मैं चला जाता हूँ।”
“नहीं, मुझे भी नींद कहाँ आ रही है। आप बैठिए। पर आपको नींद क्यों नहीं आ रही?”
“बस ऑफिस की कुछ टेंशन हैं। छोड़ो भी। पर तुम अब तक क्यों नहीं सोये?”
“पापा, अब मैं इतना छोटा भी नहीं हूँ। आपकी टेंशन का कुछ कर भले ही न सकूँ, सुन तो सकता हूँ। आप बताइए।” कहकर उसने पापा को खींचकर अपने बिस्तर पर बिठा लिया।
“अरे बेटा वो मिस्टर शर्मा हैं न, मेरे बॉस। मेरे काम में हर वक्त कमियाँ ही निकालते रहते हैं। अब कल उन्हें एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट दिखानी है। कहीं ऐसा न हो वे मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दें। बस उसकी ही चिंता है।”
“हाँ पापा कभी-कभी होती है ऐसी चिंता। मुझे भी हो रही है।”
“तुम्हें किस बात की चिंता हो रही है ?” पिता ने घबराकर पूछा।
“यही कि आप सबकी मेहनत बेकार न हो जाए ?”
“कौन सी मेहनत ?”
“वही, जिसका आप इलाज करवा रहे हैं, मेरा मोटापा। डॉक्टर अंकल, ममा आप सब इतनी मेहनत कर रहे हैं। और वो सारी मेहनत बर्बाद करना चाहता है ?”
“वो कौन ?”
“जंक फ़ूड। टी.वी चालू करो तो वही। स्टेडियम, स्कूल, मॉल, हर जगह उसी के ठेले। सारी दुकानों पर सजा खाना और खाने वालों की भीड़। सब आप सबकी मेहनत बरबाद करना चाहते हैं।’’ शीनू बोला।
“ओह यह बात है।” पिता ने राहत की साँस ली। “पर तुम तो उनके बहकावे में नहीं आ रहे हो न?”
“नहीं,बिलकुल नहीं ?” शीनू ने कहा।
“तो फिर तो चिंता की कोई बात नहीं। तुम जरूर सफल होओगे।” पिता ने ढाढस बँधाया।
“पापा मैं भी एक बात कहूँ ?” शीनू बोला।
“ हाँ, हाँ कहो।”
“आपने रिपोर्ट बनाने में पूरी मेहनत की है न।” शीनू ने पूछा।
“ हाँ, बिलकुल की है।”
“ तो फिर आपको भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं।” शीनू ने मुस्कराते हुए कहा।
“ अरे मेरा शीनू तो सचमुच बड़ा हो गया है।” कहते हुए पिता ने उसे गले से लगा लिया।
26/05/2018
No comments:
Post a Comment