Tuesday, June 19, 2018

लघुकथा चौपाल-6 (भाग-एक)

छठवीं लघुकथा प्रस्‍तुत है।
इसका कथ्‍य ध्‍यान खींचता है। छोटे बच्‍चे अपनी जिज्ञासाओं और सवालों के हल खुद भी ढूँढ़ लेते हैं। हो सकता है कि वे व्‍यवहारिकता से दूर हों, फिर भी उनकी कोशिशों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। यह रचनाकार अपने परिवेश में होने वाली छोटी से छोटी गतिविधि के प्रति सजग है।
कथ्‍य, उसके निर्वाह, भाषा,शैली और शीर्षक आदि तथा अन्‍य पहलुओं के बारे में आप कहें।
भेद : नाम बाद में उजागर होगा
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दो-तीन दिन से वह देख रही थी। वह घर जो ' बेबो ' के स्कूल से आने के बाद उसकी धमाचौकड़ियों से गुलजार हो जाया करता था, अप्रत्याशित रूप से सन्नाटे में रहने लगा था। वह जानना चाह रही थी कि उसकी कोयल ने यूँ कूकना क्यों कर बन्‍द कर दिया है।
उसने सोचा था कि आज जरूर पता करेगी। पर दोपहर में बेबो स्वयं ही उसके कमरे में आ गयी।
कुछ देर उसे गौर से निहारने के बाद बोली, ‘‘दादी, तुम ऐसे क्यों रह रही हो ?
वह चौंक गयी , ‘‘कैसी रह रही हूँ ? ’’
‘‘बिंदी नहीं लगाती, रोज बाल भी बस लपेट लेती हो, अच्‍छे से नहीं संवारती, अच्छे कपड़े भी नहीं पहनती। ’’ बेबो अपने नन्‍हें हाथों से कंधों को पकड़कर हिला रही थी।
‘‘बस मन नहीं करता।’’ उसने टालने के लिए कहा।
‘‘नहीं दादी, तुम ऐसे अच्छी नहीं लगती हो।’’ बेबो मचलते हुए बोली।
‘‘तो क्या जिन्दगी भर अच्छी ही लगती रहूँगी ? अब बूढ़ी भी तो हो रही हूँ।’’ अपने घुटनों पर हाथ रखकर उठने की कोशिश करते हुए उसने कहा।
‘‘नहीं, तुम बूढ़ी नहीं हो सकतीं।’’ बेबो लगभग चीख पड़ी ।
‘‘अरे का हुआ ?’’ उसे आश्चर्य हुआ।
‘‘मैं तुम्हें बूढ़ी नहीं होने दूँगी।’’ बेबो उससे लिपट गई।
‘‘अच्छा ये बता तू मुझे बूढ़ी होने से कैसे रोकेगी भला ?’’ उसने हँसते हुए उसका सिर सहलाया।
‘‘रोक लूँगी। बस तुम उठो ! सुंदर बनो मेरी तरह !’’ और बेबो अपनी फ्राक के दोनों किनारों को फैलाकर मुस्कुराते हुए अपने आपको दाएँ-बाएँ घुमाने लगी।
उसे ऐसा करता देख वह फिर हँस पड़ी। उसने हार मानने वाले अंदाज में कहा, ‘‘अच्छा,जो हुकुम मेरी राजकुमारी का!’’
उसने उठ कर बाल संवारे, बिंदी लगायी, धुले हुए कपड़े बदले। बेबो बैठी उसे देखती रही। उसके तैयार होते ही बेबो चहक उठी, ‘‘येयेये... दादी सुंदर हो गयी ... दादी नयी हो गयी...।’’
उसने भी प्रफुल्लित हो बेबो को गोद में बिठा लिया। फिर प्यार से पूछा, ‘‘अच्छा एक बात बता ! मेरे बूढ़े होने से तू क्यों परेशान है?’’
बेबो कुछ देर चुप रही। फिर भेद भरे धीमे स्वर में बोली, ‘‘क्योंकि बूढ़े लोग भगवान के घर चले जाते हैं न।’’

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